सोशल मीडिया : जनसंपर्क का वैश्विक उपकरण

शम्भू शरण गुप्त*

प्रस्तावना

आधुनिक जनसंपर्क की शुरूआत 1900 से आईवी ली (lvy Lee) और एडवर्ड बर्नेज (Edword Barnays) आदि अमेरिकी विशेषज्ञों ने जनसंपर्क  के सिद्धांत, उसकी अवधारणा व महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए जनसंपर्क के विविध उपकरण भी विकसित किए है। आईवी ली ने 1914 में प्रचार (Publicity) तथा विज्ञापन (Advertisement) शब्द का प्रयोग जनसंपर्क  कार्यों में किया। अमेरिका से विकसित जनसंपर्क की इस अवधारणा को धीरे-धीरे विश्व के अन्य देश भी समझने लगे। जापान, ब्रिटेन सहित यूरोप के अन्य देशों ने जनसंपर्क के महत्त्व को स्वीकारा। तीसरी दुनिया के देशों में भी जनसंपर्क नयी विधा के रूप में अपना स्थान बनाया। “अमेरिकी राष्ट्रपति थॉमस जैफरसन ने जनसंपर्क शब्द का प्रयोग 1807 में पहली बार किया। उन्होंने कांग्रेस के अपने सातवें संबोधन की तैयारी करते समय एक स्थान पर ‘विचार की अवस्था’ की जगह ‘जनसंपर्क’ शब्द प्रयुक्त किया।“1 क्रांति के दौरान जनशक्ति को संगठित करने के लिए जनसंपर्क का महत्त्व समझा जाने लगा था।

वैसे जनसंपर्क एक सर्वकालिक विधा है और सूचना उसका मूल तत्व है। सूचना संप्रेषण आदि काल से मानव द्वारा किया जाता रहा है। जो विभिन्न युगों की यात्रा करते हुए जनसंपर्क विधा के रूप में यहां तक पहुंचा। सर्वकालिक विधा के रूप में जनसंपर्क का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी मानव सभ्यता। भले ही इसके रूप व स्वरूप को उस समय कोई नाम न दिया गया हो पर इसका अस्तित्व मानव के जन्म काल से जुड़ा है। प्राचीन काल में मानव समाज का दायरा सीमित था इसलिए वह अपना जनसंपर्क कुछ अलग तरह की आवाजों, रंगों, संकेतों, प्रतीकों एवं गुफाओं में चित्रकारी के रूप में करता था। प्रसिद्ध जनसंपर्क विशेषज्ञ श्री राजेन्द्र का कथन है-“प्राचीन भारत की सामाजिक, राजनैतिक व्यवस्था में जनसंपर्क का विशेष महत्त्व रहा है। यद्यिप उस जमाने में इस शब्द का प्रचलन नहीं था, फिर भी राजा व प्रजा के संबंध, व्यक्ति के सामाजिक दायित्व, धर्म, शुचिता, कल्याण की भावना सिद्धांत रूप में इसकी नीतियाँ दृष्टिगोचर होती हैं।“ वैदिक काल में वैदिक ऋचाओं को कंठस्थ या वाचिक कला के रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी, इस प्रकार पीढ़ी दर पीढ़ी इसका प्रचार मौखिक संचार के रूप में मिलता है। ऋग्वेद कालीन समाज में जनसंपर्क विधा डुगडुगी/मुनादी जैसे स्वरूप सामने आए हैं। मौर्य काल में जनमत से अवगत होने से लेकर धर्म प्रचार तक, ब्राम्ही लिपि में अंकित अभिलेखों से लेकर शिलालेखों तक।

सारनाथ के सम्राट अशोक का जनसंपर्कीय प्रतीक स्तंभ से लिया गया चक्र और चार शेरों वाला प्रतीक आज भारत गणराज्य का वैश्विक प्रतीक है। मुगल काल में जनसंपर्क विधा को मजबूती प्रदान करते हुए हरकारों/गुप्तचरों के साथ-साथ समाचार-लेखकों का इस्तेमाल किया गया है। ब्रिटिश काल में जनसंपर्क विधा समाचार पत्र व पत्रिकाओं के रूप में अपने विराट स्वरूप में अवतरित हुआ और अभी तक अपना स्थान बनाए हुए है। आजाद भारत में जनसंपर्क विधा लोक मीडिया, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया की यात्रा करते हुए सोशल मीडिया के साथ अत्यंत तीव्र और प्रभावी है। भारत में लोक माध्यमों की काफी समृद्ध विरासत है। यह आम आदमी का जनसंपर्क विधा है और लोगों के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न अंग है। भारत में प्रचलित लोक-गीत, लोक-कथाएं, लोकनृत्य, कठपुतली, लोक-नाट्य, गीत-संगीत, धार्मिक मेले, नाटक आदि व्यावहारिक परिवर्तन लाने और निचले स्तर पर विभिन्न समुदायों को समकालीन मुद्दों के प्रति जागरूक बनाने में जीवंत भूमिका निभाने की एक प्रमुख जनसंपर्क विधा है। सिनेमा भी जनसंपर्क विधा के रूप में लोगों में विश्वास और ग्राह्य हुआ है। रेडियो जहां बिना दूरी के समाचार पत्र की भूमिका निभा रहा है तो वहीं इंटरनेट ने पूरी दुनिया को एक छोटा सा गाँव बना दिया है। कंपनियां जनसंपर्क के ‘जन’ से ‘संपर्क’ करने के लिए अब सोशल मीडिया का उपयोग कर रही हैं। जनसंपर्क व्यावसायिक व सामाजिक संचार प्रबंधन के लिए सोशल मीडिया का उपयोग वैश्विक उपकरण के रूप में कर रहा है।

अध्ययन का उद्देश्य

  1. सोशल मीडिया को जनसंपर्क उपकरण के उपयोग और प्रभाव के आधार को जानना।
  2. सोशल मीडिया के महत्त्व और संभावनाओं के बारे में जानना।

अध्ययन का क्षेत्र

प्रस्तुत शोध पत्र के लिए विभिन्न कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स का जनसंपर्क उपकरण के रूप में उपयोग किया जा रहा है। हिंदुस्तान युनिलीवर लिमिटेड, प्राक्टर एंड गैम्बल, एमवे, आदि सहित अन्य तमाम छोटी-बड़ी कंपनियां सोशल मीडिया का उपयोग कर रही हैं, जो इसके विषय क्षेत्र हैं।

अध्ययन की पद्धति

इस विषय पर अध्ययन के लिए नेटवर्क एनालिसिस, ऑनलाइन एथनोंग्राफी, ऑनलाइन फोकस ग्रुप अध्ययन और ऑनलाइन फीडबैक के अध्ययन को आधार बनाया गया है।

आधारीय विश्लेषण

1960 के दशक में कनाडा के मार्शल मैकलुहन की पुस्तक ‘Understanding Media’ में ‘Medium is the Message’ की परिकल्पना आज सिद्ध हो रही है। बड़ी-बड़ी कंपनियां सोशल मीडिया को एक उपकरण के रूप में उपयोग कर अपनी छवि का निर्माण कर रहीं हैं। कंपनियां अपनी व्यावसायिक व सामाजिक सूचनाओं को सोशल नेटवर्किंग साइट्स ‘फेसबुक’, ‘ट्विटर’, ‘यू-ट्यूब’ और ‘ब्लॉग’ के सहारे व्यावसायिकों, विशेषज्ञों और उपभोक्ताओं के बीच सूचना व विपणन का नेटवर्क तैयार कर रहे हैं। सोशल मीडिया का 24&7 खुला होना जनसंपर्क के उपयोग एवं प्रभाव को दर्शाता है। मार्केटिंग के लोग हो या मार्केट रिसर्च के, जनसंपर्क के लोग हों या विभिन्न सामाजिक-मुद्दों पर काम करने वाले समूह लगभग सब ट्विटर या फेसबुक आदि के जरिए आपस में जुड़े हुए हैं। विपणन कला में माहिर लोगों की इन परिवर्तनों पर नजर है तथा वे यह सुनिश्चित करके चलते हैं कि उपभोक्ता का ज्यादा समय जिन माध्यमों के साथ बीत रहा है, विपणन के लिए उनका उपयोग किया जाए। कंजूमर ब्रांड्स, ऑटोमोबाइल सहित आदि कई कंपनियां अपनी लांचिंग से प्रॉडक्ट प्रमोशन तक सोशल मीडिया पर अपनी निर्भरता बढ़ा रही हैं। इससे यह साबित होता है कि उत्पाद और उपभोक्ता समाज को जोडऩे में सोशल मीडिया एक बेहतर प्लेटफॉर्म हो सकता है।

हिंदुस्तान युनिलीवर लिमिटेड की वाशिंग पाउडर सर्फ एक्सेल के लिए 2012 के अंत में फेसबुक सोशल मीडिया द्वारा ‘Full Fill a Wish’ के नाम से कैम्पेन चलाया गया। इस कैम्पेन में सर्फ एक्सेल में आश्चर्यजनक रूप से एक भारी संख्या में ऑनलाइन ब्रांड चहेतों और उपभोक्ताओं को कॉल किया। आज इस ब्रांड के फेसबुक पर एक करोड़ से ज्यादा चहेते हैं। आज यह कंपनी के ट्विटर, फेसबुक और यू ट्यूब सोशल साइट के साथ भारत में व्यापार कर रही है। फेसबुक पर इसके लाइक्स की संख्या 2,951,975 देखी जा चुकी है। वहीं एमवे के फेसबुक साइट पर 135,891 लाइक्स है और प्राक्टर एंड गैम्बल के लाइक्स की संख्या 5,340,131 है।

दो साल पूर्व हिप्पो चिप्स ने भी ट्विटर कैम्पेन लांच किया था, जिसमें ग्राहकों व रिटेलर्स से हिप्पो की उपलब्धता के लिए ट्विट करने को कहा गया था क्योंकि कंपनी को वितरण से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। कंपनी का वादा था कि निश्चित स्टोर्स पर हिप्पो की अनुपलब्धता वाली ट्विटर पर कदम उठाए जाएँगे। इसी प्रक्रिया में 25 शहरों से कंपनी को स्टॉक से जुड़ी शिकायतें मिली। इस कैम्पेन से न केवल कंपनी की समस्या का समाधान हुआ बल्कि बिक्री में भी अद्भुत बढ़ोतरी हुई।

जनसंपर्क उपकरण के रूप में सोशल मीडिया के बारे में ह्यूमन रिसोर्सेज़ एंड वर्कप्लेस सोल्यूशन्स कंपनी रींगस की सर्वे रिपोर्ट बताती है कि भारत की 83′ फम्र्स इस बात के लिए राजी हैं कि बिना सोशल मीडिया एक्टिविटी के मार्केटिंग स्ट्रैटजी सफल नहीं हो सकती, वैश्विक रूप से यह आंकड़ा 74′ है। माइंडशिफ्ट इंटरएक्टिव के सीईओ जफर रईस कहते है कि भारत के प्रमुख 50 ब्रांडों में से 32 से ज्यादा सोशल मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग सक्रिय रूप से कर रहे हैं। एसोचैम के जनरल सैक्रेटरी डी. एस. रावत ने कहा है कि 23 हज़ार करोड़ मूल्य का माल व सेवाओं का व्यापार दुनिया भर में सोशल मीडिया के द्वारा हो रहा है। 2015 तक यह आंकड़ा 1.35 लाख करोड़ हो जाएगा जिसमें भारत का हिस्सा 10 हज़ार करोड़ रूपये को पार कर जाएगा। श्वेता शुक्ला (प्रमुख आंतरिक संबंध, प्राक्टर एंड गैम्बल, भारत) कहती हैं कि उपभोक्ताओं को जानकारी देना, साझा करना और उन्हें प्रभावित करना हमारे डी. एन. ए. का अभिन्न अंग है।

सूचना प्रौद्योगिकी और जनसंपर्क का अंतर्संबंध

“प्रसिद्ध वैज्ञानिक एल्विन टोफलर की पुस्तक ‘द थर्ड वेब’ में उन्होंने ‘कृषि’ एवं ‘औद्योगिक विकास’ के बाद सूचना तकनीकी को राष्ट्रीय विकास के क्रम में ‘तीसरा महत्त्व  पूर्ण चरण’ माना है।“2 विभिन्न विषयों पर सूचना एकत्र करके यथा समय उनकी उपलब्ध्ता एवं विश्लेषण – सूचना तकनीकी के दो विशिष्ट आयाम हैं। औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन वृद्धि व सेवाओं में सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली के अभ्युदय ने महत्त्वपूर्ण योगदान किया है। इससे उद्योग एवं व्यवसाय से संबंधित समस्त अवधारणाओं के साथ जनसंपर्क की भी अवधारणा बदल गईं हैं, जिसके फलस्वरूप नागरिकों की आकांक्षाएं आशातीत रूप से बढ़ी हैं। इनकों पूरा करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, संस्कृति, संरचना आदि अनेक क्षेत्रों के साथ-साथ प्रशासकीय सेवाओं की उपलब्धता में सूचना तकनीकी का महत्त्वपूर्ण योगदान संभव हुआ है। आदिम युग से कृषि युग आने में हजारों साल लगाए और फिर सैकड़ों साल कृषि युग में बिताते हुए औद्योगिक युग में प्रवेश किया लेकिन एक शताब्दी से कम समय में दुनिया ने औद्योगिक युग को पीछे छोड़कर सूचना युग में प्रवेश किया है। सूचना प्रौद्योगिकी युग ने जीवन के मायने को ही बदल दिया। इंटरनेट ने बाजार व निजी दोनों जीवन के दोनों क्षेत्रों के लिए अपार संभावनाओं भरा क्षितिज खोल दिया है। उत्तरोत्तर कंप्यूटर, इंटरनेट और सूचना प्रौद्योगिकी पर हमारी निर्भरता बढ़ती ही जा रही है। आज सोशल मीडिया हमारा जीवन साथी हो गया है।

सोशल मीडिया के आविर्भाव के पहले तक जनसंपर्क से संचार संबंधित सभी क्रिएटिविटी प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया तक ही थी। उसी के हिसाब से कॉर्पोरेट अपनी रणनीति तय करते थे। आज सोशल मीडिया ने धारा बदल दी है और कंपनियों को सोशल मीडिया पर अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करने को विवश कर दिया है। सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने तो इस मंच का भरपूर लाभ उठाया है। सोशल मीडिया बहुआयामी तरीके से लोगों को जोड़ता और बांधे रखता है। विकसित देशों में बहुत से व्यवसाय तो सीधे-सीधे सोशल मीडिया पर ही निर्भर करते हैं। लगभग सभी कंपनियां सोशल मीडिया को जनसंपर्क उपकरण के रूप में अंगीकार कर चुकी हैं। सोशल मीडिया एक ऐसा मीडिया है जहाँ कोई गेटकीपर नहीं होता है और अनेक सुविधाएँ भी देता है। एक कहावत है कि ‘हाथी के पांव में सबका पांव’ जो सोशल मीडिया पर पूरी तरह से लागू होता है क्योकि सोशल मीडिया सभी प्रकार के संचार मीडिया को अपनी सीमा के अंदर समेट लिया है।

ऐसे में जनसंपर्क विभाग कंपनी के जनता से अधिकृत रूप से पल-पल सूचना देने, फोटों शेयर करने, वीडियो अपलोड करने का सारा काम सोशल मीडिया के द्वारा कर रहा है। सोशल मीडिया पर इतनी बढ़ी जनसंख्या (यूजर्स) का होना ही जनसंपर्क उपकरण के लिए प्लस प्वाइंट है। इसके अलावा यूजर्स द्वारा जनित कंटेंट उपभोक्ताओं की नजर में अपेक्षाकृत उच्च स्तर के साथ आता है। दुनिया भर में ऑनलाइन प्रयोक्ताओं में बढ़त के साथ-साथ सोशल मीडिया नेटवर्किंग का प्रयोग भी बढ़ा है। आज वेब सेवाओं एवं विपणन उपकरण के रूप में सोशल मीडिया का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इंटरनेट ने कारोबार विकास एवं जनसंपर्क की प्रमुख गतिविधियों तक पहुँच बनाने के कंपनियों के पुराने तौर तरीकों को बदल दिया है। जनमत को प्रभावित करने का एक बड़ा मंच  सोशल मीडिया प्रदान कर रहा है। ग्राहक के मनोभावों और उसकी चाहत को समझने के लिए सोशल  मीडिया सक्षम है। ”हमारा उद्योग उन तरीकों को बदल देगा, जिनके जरिए लोग व्यापार करते हैं, कुछ सीखते हैं और यहाँ तक कि अपना मनोरंजन करते हैं। यह बदलाव इतनी दूर तक जाएगा, जितनी दूर तक इसके जाने के बारे में हमारे उद्योग से बाहर के लोग सोच भी नहीं सकते।“3

सोशल मीडिया और जनसंपर्क

जनसंपर्क के परम्परागत उपकरणों की तुलना में सोशल मीडिया सस्ता, सरल और तुरंत फीडबैक देने वाला माध्यम है। बहुत ही अल्प समय में अपलोड की गई सारी सूचनाएं पूरी दुनिया के यूजर्स को न सिर्फ मिल जाती हैं बल्कि यूजर्स द्वारा उन्हें मिलने वाले लाइक, कमेंट्स और किए गए शेयर से उन सूचनाओं को और अधिक प्रसारित किया जाता है। इसके अलावा संबंधित अपलोड करने वाली संस्था या व्यक्ति को भी प्रभावित किया जाता है। सोशल मीडिया एक्सपर्ट सुबिमल भट्टाचार्य के अनुसार सोशल मीडिया एक तरह का वर्चुअल माइक है। इसका उपयोग जो जितने कारगर तरीके से करेगा, उसे उसका उतना अधिक लाभ मिलेगा।4 सोशल मीडिया से आशय ट्विटर, फेसबुक, गूगल+, यू-ट्यूब (मीडिया शेयरिंग नेटवर्किंग साइट), ब्लाग, लिंक्ड इन व माईस्पेस जैसी सोशल वेबसाइट्स से है जिसने विश्व के करोड़ों लोगों को जोड़े रखा है। सोशल मीडिया में मुख्य धारा के मीडिया के सारे गुणों के साथ बातचीत करने (Discourse) और उसे प्रभावी व द्विमार्गीय प्रक्रिया जैसी जनसंपर्कीय विशेषताएं भी मौजूद हैं। एक तरफ जहां यूजर्स को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को पूरी तरह से उपयोग का सोशल मीडिया एक माध्यम मिला है तो दूसरी ओर कंपनियों को यूजर्स के डाटा तक पहुँचने का अवसर भी प्राप्त हुआ है।

कोई भी कंपनी सोशल नेटवर्किंग साइट्स के उपयोग से अपने उत्पाद, कार्यशैली और उसकी सेवाओं आदि के प्रति उपभोक्ताओं, कर्मचारियों आदि के मत, विचार और यथार्थ की जानकारी सरलता से प्राप्त कर सकती हैं। कंपनी किसी सामाजिकता, राष्ट्रीयता, पर्यावरण, पर्वों और अन्य अनेक पारंपरिक रीति-रिवाजों आदि से जुड़े विशेष अवसरों पर नवीन अभिव्यक्ति से सोशल मीडिया के यूजर्स (कंज्यूमर्स, उपभोक्ता, कर्मचारी और जनता यानि Publics) के विचारों और मतों को सही दिशा में प्रेरित करने और स्थिर करने का प्रमुख माध्यम हो सकता है। इस प्रकार की सूचनाएं जनता और यूजर्स की दृष्टि में आदरणीय स्थान प्राप्त करवाते हैं। मुख्य धारा के मीडिया की अपेक्षा सोशल मीडिया (फेसबुक) में समय और स्थान की उपलब्धता से कोई भी कंपनी अपनी व्यावसायिक क्षमता की सूचनाओं को सार्वजनिक कर अपनी जनता (Publics) के बीच अपना विस्तार कर सकती है। इस तरह की सूचनाएं समाज की नजर में कंपनी की अपनी योग्यता का परिचायक होती हैं। लोगों में विश्वास की धारणा बनाने में सहायक उपकरण का काम करता है। सोशल मीडिया वैयक्तिक, सामूहिक और जन (Mass) स्तर तक स्वयं की सूचनाओं से अवगत कराने या प्रचार का एक सरल माध्यम है। कंपनियां सोशल मीडिया के द्वारा एक साथ कई प्रकार की संचार (Communications) प्रक्रिया का एक साथ इस्तेमाल करते हुए देखे जा सकते हैं। जैसे फेसबुक नेटवर्किंग साइट पर टेक्स्ट, फोटो और विडियो को एक साथ अपलोड किए जा रहे हैं जो कि पहले संभव नहीं थे।

हम सभी के जीवन काल में ही दुनिया ने अर्द्ध औद्योगिक अर्थव्यवस्था को छोड़कर औद्योगिक अर्थव्यवस्था में प्रवेश किया फिर वह कंप्यूटरीकृत अर्थव्यवस्था में आ गयी। महत्त्वपूर्ण तकनीकी, संवादात्मक और पारदर्शी विस्तार के साथ सोशल मीडिया कंपनियों को जहां अपनी बात जनता से कहने के लिए भरपूर मौका देती है, वहीं यह सामाजिक, राजनैतिक व व्यावसायिक गतिविधियों आदि को बढ़ाने का एक उपयुक्त व सस्ता माध्यम भी है। कंपनियां और आम जन स्वतंत्र भाव से इसका उपयोग कर रही हैं। जनसंपर्क उपकरण के रूप में नित्य नए-नए विचार और कल्पनाएं, टेक्स्टुअल संदेश, टीचिंग सुविधा, विज्ञापन और फीडबैक आदि सोशल मीडिया पर देखने को मिलते हैं। इस संदर्भ में यह बात सही साबित होती है कि-“सोशल मीडिया पी आर परामर्श एक गतिशील, निरंतर प्रकिया है।“5 सोशल मीडिया आम जन-मानस के साथ-साथ कंपनियों को एक अच्छा और बेहतरीन अवसर देता है। सोशल मीडिया की संवादात्मक विशेषता जनसंपर्क उपकरण के रूप में इसे व्याख्यायित व निर्धारित करता है।

परंपरागत विज्ञापन माध्यमों की सीमा रेखा को समझते हुए कंपनियां उत्पादों को अधिकतम लोगों तक पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया को अपनाई हैं। पर्सनल कंप्यूटर निर्माता डेल इंक से लेकर स्टोरेज उपकरण निर्माता कंपनी नेटएप्प इंक और हिंदुस्तान युनिलीवर, एमवे और प्राक्टर एंड गैम्बल तक सभी एफएमसीजी कंपनियां जनसंपर्क साधने के लिए सोशल मीडिया के जरिए करोड़ों लोगों तक पहुँच रही हैं। मधुसूदन आनंद, कितनी लंबी है एक क्लिक की दूरी?, मीडिया विमर्श में लिखते हैं- “सोशल मीडिया को मार्केटिंग से जोड़ते हुए बताया गया है। मार्केटिंग के लोग हो या मार्केट रिसर्च के, जनसंपर्क के लोग हो या विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर काम करने समूह सब ट्विटर या फेसबुक आदि के जरिए आपस में जुडऩा चाहते हैं।“ कंपनियां सोशल मीडिया पर ब्रांड्स इन ब्रांड्स का प्रभावी एवं औपचारिक तरीकों से जिस तरह प्रमोशन कर रही हैं, उनके पीछे सोशल मीडिया और जनसंपर्क की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

निष्कर्ष

      सोशल मीडिया तकनीक के बढ़ते दायरे ने न सिर्फ लोगों की जीवन शैली में भारी बदलाव किया है बल्कि सूचना के लेन-देन का तात्कालिक और अपडेट माध्यम हो गया है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल कंपनियों में जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसी तेजी से इसके विशेषज्ञों की मांग भी बढ़ रही है। इस प्रकार सोशल मीडिया एक जनसंपर्क उपकरण के रूप में लाभ उठाने के लिए अच्छे प्लेटफॉर्म के रूप में एक अवसर दिया है। यही कारण है कि सोशल मीडिया बहुत ही अल्प काल में जनसंपर्क का एक प्रमुख उपकरण बन कर सूचना (Content) तेजी के साथ संग्रह करने में महत्त्वपूर्ण और स्वतंत्र उपकरण का काम कर रही हैं। सामाजिकता वायरल रूप में बढ़ रही है लेकिन वास्तविक रूप में कम होती जा रही है। यह इसकी कमजोरी है।

संदर्भ ग्रंथ :

  1. सराफ, देविता. नई सोच की प्रणेता, संपा. मोनिका शर्मा. भास्कर लक्ष्य. भोपाल: मई 2012
  2. आनंद, मधुसूदन. कितनी लंबी है एक क्लिक की दूरी ?, संपा. सिंह, डॉ. श्रीकांत. प्रका. मीडिया विमर्श. रायपुर, अक्तूबर-दिसंबर 2011. द्विवेदी, भूमिका. युगबोध डिजिटल प्रिंटस.
  3. शुक्ला, श्वेता. प्रमुख आंतरिक संबंध, प्रोक्टर एंड गैम्बल भारत.
    http://www.exchange4media.com/PrSpeak/InterView.aspx?ID=104 (dt.24/7/2013)
  4. http://www.toprankblog,com/2011/01/5-reports-soshal-media-public-relation
  5. हरमन, एडवर्ड एस. और मैकचेस्नी, रावर्ट डब्लू, अनुवादक – भूषण, चंद्र. भूमंडलीय जनमाध्यम निगम पूंजीवाद के नए प्रचारक. दिल्ली: ग्रंथ शिल्पी, 2006.

संदर्भ सूची

  • भनावत, डॉ. संजीव. और माथुर, क्षिप्रा. जनसम्पर्क सिद्धांत और तकनीक पृ. सं. – 2
  • भाटिया, सुरेश चंद्र. सरल एवं पारदर्शी ई-प्रशासन. विज्ञान प्रगति, अंक- मार्च 2005, पृ. सं.-17.
  • हरमन, एडवर्ड एस. और मैकचेस्नी, रावर्ट डब्लू, अनुवादक – भूषण, चंद्र. भूमंडलीय जनमाध्यम निगम पूंजीवाद के नए प्रचारक. पृ. स. – 173
  • नवभारत टाइम्स, मुंबई, दिसंबर 9, 2013.
  • http:/www.toprankblog.com/2009/11/social-media-pr
  • आनंद, मधुसूदन. कितनी लंबी है एक क्लिक की दूरी?, मीडिया विमर्श पेज नं. 14-15.
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