प्राे. (डाॅ.) संजीव भानावत

प्राे. (डाॅ.) संजीव भानावत

प्राे. (डाॅ.) संजीव भानावत राजस्थान विश्वविद्यालय के जन संचार केन्द्र में पत्रकारिता के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष पद से 31 जुलाई 2018 को सेवानिवृत्त हुए हैं। वे सेवा निवृत्ति के समय राजस्थान विश्वविद्यालय के जैन अध्ययन केन्द्र के मानद निदेशक तथा प्रशासनिक सेवा पूवर प्रशिक्षण भर्ती केन्द्र के निदेशक भी रहे। गत साढे तीन दशको से पत्रकारिता शिक्षण-प्रशिक्षण से जुड़े डाॅ0 भानावत ने अपने समर्पित एवं एकाकी प्रयासों से विश्वविद्यालय में पत्रकारिता का विभाग स्थापित किया जिसमें आज पत्रकारिता एवं जन संचार में दो वर्षीय स्नातकोत्तर पाठयक्रम के अध्यापन तथा शोध अनुसंधान की व्यवस्था है। इस विभाग ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।

डाॅ. भानावत के निदरेशन में अब तक 30 विद्यार्थियों ने शोध उपाधि प्राप्त की है। इन्होंने पत्रकारिता विषय से जुड़ी लगभग 30 पुस्तको का लेखन/संपादन किया है। इनमें सांस्कृतिक चेतना और जैन पत्रकारिता, पत्रकारिता का इतिहास एवं जन संचार माध्यम, प्रेस कानून और पत्रकारिता, समाचार माध्यमों का संगठन एवं प्रबन्ध, समाचार लेखन के सिद्धान्त और तकनीक, संपादन कला, मीडिया एण्ड रूरल डवलपमेन्ट, प्रभावी जनसम्पर्क, मीडिया सीन इन इंडिया-इमरजिंग फेसिट्स, ए कम्पेन्डियम ऑफ काॅड ऑफ कन्डक्ट फाॅर मीडिया प्रोफेशनल्स आदि प्रमुख हैं। राजस्थान साहित्य अकादमी के सुमनेश जोशी प्रथम कृति तथा उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के बाबूराव विष्णु पराडकार पत्रकारिता पुरस्कार, न्यूजपेपर्स एसोशियेशन ऑफ इण्डिया, दिल्ली के मीडिया गुरू तथा पब्लिक रिलेशन्स कौंसिल ऑफ इंडिया के हाॅल ऑफ फेम, जैन विचार मंच कोलकाता की ओर से गणेश ललवानी सम्मान, भारतीय ग्रामीण पत्रकार संघ के गणेश शंकर विद्यार्थी अवार्ड आदि पुरस्कारों सहित अनेक सामाजिक, शैक्षणिक तथा प्रोफेशनल संस्थाओं से आप पुरस्कृत हो चुके हैं। जनवरी, 1997 से डाॅ0 भानावत एक मीडिया त्रैमासिकी ‘कम्यूनिकेशन टुडे’ का संपादन कर रहे हैं। जनसंचार केन्द्र की ओर से आपने ‘मीडिया टुडे‘ नाम से एक वार्षिक जर्नल का भी वर्ष 2012 में प्रकाशन प्रारंभ किया है। इस शोधा जर्नल को पब्लिक रिलेशन्स कौंसिल ऑफ इंडिया के मार्च, 2011 में चण्डीगढ में आयोजित ग्लोबल सम्मेलन में गोल्ड अवार्ड से सम्मानित किया गया। राजस्थान विश्वविद्यालय के़ त्रैमासिक न्यूज लेटर ‘ग्लिम्पसेस’ का भी आपने संपादन किया है। मूल्यानुगत मीडिया मासिक, ट्रिनिटी जर्नल ऑफ मैनेजमेन्ट, आई टी एण्ड मीडिया, तथा एमिटी जर्नल ऑफ मीडिया एण्ड कम्यूनिकेशन स्टेडिज, राजस्थान विश्वविद्यालय के समाज विज्ञान शोध केन्द्र के वार्षिक जर्नल ‘सोशल साइंस एक्सप्लोरर‘ तथा संचार एजुकेशनल एंड रिसर्च फांउडेशन लखनऊ के द्विभाषी त्रैमासिक जर्नल ‘संचार बुलेटिन‘ के सलाहकार संपादक/सम्पादक मण्डल के सदस्य के रूप में आप सम्बद्व हैं। जिनवाणी मासिक तथा श्रमणोपासक पक्षिक जैन पत्रों के भी आप सम्पादक रह चुके हैं।

डाॅ0 भानावत ने राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय स्तर की शताधिक संगोष्ठियों में न सिर्फ भागीदारी की है वरन गत 25 वर्षों में आपने अनेक अन्तरराष्ट्रीय एजेन्सियों के साथ मिलकर मीडिया से जुड़े विविध विषयों पर महत्त्वपूर्ण संगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं का आयोजन कर इस क्षेत्र में एक नयी वैचारिक चेतना को शुरू करने का प्रयत्न किया है। आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से आप लगभग चार दशक से जुडे़ है। दूरदर्शन के राष्ट्रीय कार्यक्रम में भी आपके कार्यक्रम प्रसारित हुए हैं। उन्हें लोकसभा एवं विधानसभा के चुनावों के दौरान राजनैतिक प्रसारणों की संमीक्षा के लिए आकाशवाणी महानिदेशालय की ओर से समय-समय पर विशेषज्ञ मनोनीत किये गये है। डाॅ. भानावत को भारतीय प्रेस परिषद की ओर से राजस्थान में वर्ष 1999 में लोक सभा के चुनावों में पर्यवेक्षकों के रूप में भी मनोनीत किया गया था। डाॅ0 भानावत पब्लिक रिलेशन्स सोसायटी ऑफ इंडिया के जयपुर स्कन्ध के अध्यक्ष रह चुके हैं तथा वतर मान में वे इसकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। डाॅ0 भानावत विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक तथा प्रोफेशनल संगठनों से जुड़े हैं।

वर्ष 1996 में एशियाई देशों के मीडिया शिक्षकों के अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में सहभागिता करने आप कोलम्बो तथा वर्ष 2007 में विश्व हिन्दी सम्मेलन में पत्रवाचन करने आप न्यूयार्क भी गये थे। नवम्बर, 2008 में चीन के बीजिंग, शेनयोन तथा शंधाई शहरों की यात्रा की तथा वहाॅ की मीडिया शिक्षा की स्थिति का अध्ययन किया।

शिक्षा के क्षेत्र में डाॅ0 भानावत का महत्त्वपूर्ण योगदान है – अपने माता-पिता डाॅ0 शान्ता भानावत तथा डाॅ0 नरेन्द्र भानावत की स्मृति में एक उच्च स्तरीय शोध संस्थान की स्थापना। उनके इस संस्थान में करीब 13 हजार सन्दर्भ ग्रन्थ उपलब्ध हैं जो हिन्दी राजस्थानी तथा जैन साहित्य सहित पत्रकारिता सम्बन्धी विषयों पर शोध कार्य करने वाले विद्यार्थियों के लिए महत्त्वपूर्ण संस्थान है।

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