डॉक्टर शांता भानावत का जन्म 6 मार्च 1939 को छोटी सादड़ी चित्तौड़गढ़ में हुआ था । जब वे आठवीं कक्षा की विद्यार्थी थीं तभी उनका विवाह हो गया था। विवाह के उपरांत अपने पति प्रो (डॉ) नरेंद्र भानावत के सहयोग और प्रेरणा से उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से हिंदी में एम ए करने के बाद ‘ ढोला मारु रा दोहा का अर्थ वैज्ञानिक अध्ययन ‘ विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की । डॉ भानावत श्री वीर बालिका महाविद्यालय , जयपुर में लगभग 18 वर्ष तक संस्थापक प्राचार्य के रूप में कार्य करती रहीं। वे राजस्थान विश्वविद्यालय की सीनेट की सदस्य भी रहीं। अनेक सामाजिक, धार्मिक संगठनों से उनका जुड़ाव रहा। आकाशवाणी जयपुर से हिंदी व राजस्थानी में आपकी अनेक वार्ताएं एवं कहानियां प्रसारित हुई। उनकी प्रकाशित कृतियों में प्रमुख हैं- ढोला मारू रा दूहा का अर्थ वैज्ञानिक अध्ययन और महावीर जी ओलखाण। राजस्थानी कहानियों के उनके तीन कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए। जिनवाणी और श्रमणोपासक जैसी प्रमुख जैन पत्रिकाओं की वे लंबे समय तक संपादक भी रहीं। 24 मई ,1994 में अनायास ब्रेन हेमरेज के कारण मात्र 55 वर्ष की उम्र में ही उनका आकस्मिक निधन हो गया।
उनकी लिखी हुई प्रमुख पुस्तकों की सूची



